मुंबई, 24 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की परेशानियां खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं। मोहम्मद यूनुस की सरकार लगातार उनके खिलाफ नए आरोप लगा रही है। अब बांग्लादेश में एंटी करप्शन कमीशन (ACC) ने हसीना और उनके परिवार के खिलाफ करीब 42,600 करोड़ रुपए (5 बिलियन डॉलर) गबन की जांच शुरू की है। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक हसीना पर आरोप है कि उन्होंने राजधानी ढाका से 160 किमी दूर रूपपुर में रूस द्वारा डिजाइन किए गए न्यूक्लियर पावर प्लांट में यह गबन किया था। रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम द्वारा बनाए जा रहे इस प्लांट में भारतीय कंपनियों की भी हिस्सेदारी है। वहीं, हसीना के खिलाफ जांच शुरू करने का फैसला तब किया गया जब बांग्लादेशी हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले ACC से पूछा था कि इस मामले में आपकी निष्क्रियता को क्यों अवैध घोषित न किया जाए? इस मामले में शेख हसीना, उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय, बहन रेहाना और भतीजी ट्यूलिप सिद्दीक को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इन्होंने गबन की रकम को मलेशियाई बैंक में ट्रांसफर किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्यूलिप सिद्दीक, शेख रेहाना और अन्य लोगों को कमीशन के तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की रकम का 30% मिला था। शेख हसीना फिलहाल भारत में रहती हैं, जबकि उनका बेटा अमेरिका में है और उनकी भतीजी ब्रिटेन में हैं। हालांकि शेख रेहना के बारे में अभी कोई कंफर्म जानकारी नहीं है।
इससे पहले बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इसे लेकर एक चिट्ठी भी भेजी है। तौहीद हुसैन का कहना है कि बांग्लादेश सरकार कानून का सामना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को वापस चाहती है। इस मांग पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने यूनुस सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने X पर लिखा- यूनुस सरकार की तरफ से नियुक्त जजों और प्रॉसिक्यूटर ने इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल के जरिए एक मजाकिया ट्रायल शुरू किया है, जो एक राजनीतिक उत्पीड़न है। यह न्याय को दरकिनार करता है और आवामी लीग के नेताओं पर हमले को प्रमोट करता है। पहले बांग्लादेश का कंगारू कोर्ट और अब डिपोर्ट करने की यह मांग, वो भी ऐसे समय पर जब सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं की गैर कानूनी तरीके से हत्या की जा रही है। उन पर हत्या के आरोप लगाए जा रहे हैं, हजारों लोगों को गैर कानूनी तरीके से कैद किया जा रहा है। हम फिर दोहराते हैं कि जुलाई और अगस्त के बीच मानवाधिकार उल्लंघन की हर घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, लेकिन इस सरकार ने कोर्ट को हथियार बना लिया। हमे इस जस्टिस सिस्टम पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। आपको बता दें, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।